The Definitive Guide to Shodashi
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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
सर्वेषां ध्यानमात्रात्सवितुरुदरगा चोदयन्ती मनीषां
हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता
ह्रींमन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं
Once the Devi (the Goddess) is worshipped in Shreecharka, it is claimed to get the best kind of worship from the goddess. There are sixty four Charkas that Lord Shiva gave to the human beings, coupled with different Mantras and Tantras. These got so which the human beings could deal with attaining spiritual benefits.
ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिपुरामदने सर्वशुभं साधय स्वाहा॥
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन click here स्पष्ट होता है।
सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual advancement along with the attainment of worldly pleasures and comforts.
Lalita Jayanti, an important Competition in her honor, is celebrated on Magha Purnima with rituals and communal worship events like darshans and jagratas.
बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥